कई जिलों के एआरटीओ की भूमिका संदिग्ध, उन पर भी दर्ज होगा केस

कई जिलों के एआरटीओ की भूमिका संदिग्ध, उन पर भी दर्ज होगा केस


ओवरलोडिंग के मामले में पकड़े गए गिरोह से एसटीएफ को कई जिलों के एआरटीओ और उनके कर्मचारी तथा सिपाही के नाम प्रकाश में आए हैं। पूर्व सरकार में शामिल कुछ सफेदपोशों के नाम भी इस खेल में शामिल होना बताया जा रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने की तैयारी है।


पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक धर्मपाल के पास से जो डायरी और रजिस्टर मिले हैं उनकी जांच में अब तक 5563 गाड़ियों के बारे में जानकारी हुई है। उनकी एंट्री वह प्रत्येक महीने कराता था और उसकी रकम लेता था। कई मालिक ऐसे भी हैं जिनकी कई दर्जनों गाड़ियां इसमें लगी थी। यहीं नहीं, जिस जिले की एंट्री फीस जो गाड़ी मालिक देता था उसी जिले में ओवरलोडिंग की छूट होती थी।


धर्मपाल व्हाट्सएप के जरिये अधिकारियों के पास गाड़ियों के नम्बर भेजता था। ओवरलोडिंग की इन गाड़ियों को रात के आठ बजे से सुबह के पांच बजे के बीच पास कराया जाता था। जहां के एआरटीओ पैसा नहीं लेते थे, वहां के सचल दस्ते के सिपाहियों से गिरोह की साठगांठ होती थी। वह चेकिंग के समय अधिकारियों की लोकेशन बताते थे जिससे गाड़ियां उस समय पर उस लोकेशन से नहीं गुजरती थी। इसके बदले उन सिपाहियों की महीने की रकम बंधी थी। गोरखपुर के तीन बाबू सहित अन्य अधिकारी इस खेल में शामिल बताए जा रहे हैं।


सोनभद्र का सबसे ज्यादा फैजाबाद का सबसे कम


गाड़ियों की एंट्री की प्रत्येक जिले की अलग-अलग रकम निर्धारित थी। इनमें सोनभद्र का सबसे ज्यादा छह से सात हजार रुपये तक प्रति गाड़ी वसूली होती थी वहीं फैजाबाद का सबसे कम 2500 रुपये रेट था। सूत्रों के मुताबिक एक गाड़ी का एक जिले के 4000 से 4500 रुपये तक आरटीओ विभाग को जाता था। जिनके पास यह रकम जाती थी उन सभी के नाम एसटीएफ ने फर्द में शामिल किया है।


इन जिलों के अधिकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा संदिग्ध


गोरखपुर,बस्ती, बलिया,गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सन्तकबीरनगर, चन्दौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, आजमगढ, मऊ आदि जनपदों में सक्रिय है।


धर्मपाल व मनीष सिंह पर तीन महीने से थी नजर


प्रमुख सचिव ने अक्टूबर 2019 में परिवहन विभाग को पत्र लिखकर एसटीएफ से जांच कराने के लिए कहा था। बताया गया था कि मोरंग, बालू, गिट्टी लटी गाड़ियों ओवरलोडिंग के बाद एंट्री कराई जाती है। शासन की ओर से तीन महीने से धर्मपाल और मनीष सिंह की निगरानी चल रही थी। धर्मपाल सिंह और मनीष सिंह इस धंधे के बड़े खिलाड़ी हैं। दोनों होटल मालिक भी हैं। यह गिरोह कई मोबाइल नम्बरों का प्रयोग धंधा चलाता था। पैसा एआरटीओ तक जाता है। परिवहन विभाग के दो सिपाहियों के नाम भी बताए गए हैं जो अफसरों से सेटिंग कराते थे