41 साल पहले हुई शिक्षक की हत्या में पांच को उम्रकैद
शिक्षक भागवत प्रसाद द्विवेदी की हत्या में विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार राय की कोर्ट ने 41 साल बाद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हत्या में शामिल पांच भाइयों को दोषी मानते हुए उन्हें उम्र कैद तथा प्रत्येक को 30500 रुपये अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थ दंड न देने पर अभियुक्तों को ढाई साल की सजा अलग से भुगतनी होगी। पांचों आरोपी भाई भागवत प्रसाद द्विवेदी के पड़ोसी हैं और वर्तमान में सभी की उम्र 60 साल से ऊपर है। कोर्ट ने घटना की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की उम्र ज्यादा होने के बाद भी उन्हें किसी तरह की सहानुभूति देने से इंकार कर दिया है।
सिकरीगंज थाना क्षेत्र के उल्था बुजुर्ग गांव के रहने वाले भागवत प्रसाद द्विवेदी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरि नारायण यादव एवं अभयनंदन त्रिपाठी ने बताया कि 27 मार्च 1978 की घटना है। भागवत प्रसाद की जमीन पर कब्जा करने के लिए गांव के कुछ लोग चाहरदीवारी बनवा रहे थे। इस पर उन्होंने विरोध किया था।
इसी घटना को लेकर स्कूल जाते समय रास्ते में घेर कर लाठी डंड और बल्लम से मारकर उन्हें घायल कर दिया गया था। गंभीर चोट लगने के कारण भागवत प्रसाद द्विवेदी की मौत हो गई थी। उनके बड़े बेटे प्रेम नारायण द्विवेदी ने इस मामले में घनश्याम, देवेन्द्र, सूर्यवंश, अवधेश और गंगाधार दुबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
कोर्ट ने यह की टिप्पणी
विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार राय ने 41 वर्ष बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि यह पत्रावली 39 वर्षो से लम्बित है। घटना 41 वर्ष पूर्व की है इस कारण अभियुक्त गण की उम्र अधिक है। बावजूद उसके उनके साथ सजा के प्रश्न पर कोई सहानुभूति नहीं बरती जा सकती।